चिकित्सा शिक्षा आयोग का अकल्पनीय फैसला वापस नहीं लेनेपर होगा आन्दोलन : अध्यक्ष पाण्डेय

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भाद्र १३ गते,

खोन्टुस/कपिलवस्तु ।

सरकार द्वारा स्वास्थ्य विषय के प्राविधिक एसएलसी समतुल्य कार्यक्रम खारिज करने के निर्णय का देश भर में चौतर्फी बिरोध हो रहा है ।

कोरोना महामारी के दौरान जहाँ सारा देश महामारी न्यूनीकरण तथा इससे निजात पाने के उपाय पर चर्चाएं कर रहे हैं, वही हमारे सरकार द्वारा पहले से चल रहे तथा भबिष्य निर्माण में सदुपयोगी शिक्षा प्रबिधि को खारिज करने का निर्णय लिया गया है । जिसका देशभर में चौतर्फी बिरोध हो रहा है और यथाशीघ्र इस फैसले को वापस न लेने पर लाकडाउन पश्चात लोगों द्वारा सडक पर आने की चेतावनी भी दी गयी है ।

निजि प्राविधिक शिक्षालय प्रदेश नः ५ के अध्यक्ष अरुण कुमार पाण्डेय ने सरकार के इस तरह के अव्यवहारिक तथा अविवेकशील निर्णय का बिरोध करते हुए तत्काल इस निर्णय को वापस लेने का माग किया है । करिब २६ साल से किए गए लगानी तथा स्वास्थ्य क्षेत्र में पहुचाए गए योगदान का सरकार द्वारा सही मूल्यांकन न किए जाने की बात अध्यक्ष पाण्डेय ने कही है ।

इस महामारी के दौरान फ्रन्टलाईन में रहकर कार्य करनेवाले जनशक्ति को उत्पन्न करनेवाले संस्था के प्रति राष्ट्रिय चिकित्सा शिक्षा आयोग के अकल्पनीय फैसले से समुचे देश में बिरोध का माहौल बन चुका है ।

राष्ट्रिय चिकित्सा शिक्षा आयोग ने प्राविधिक शिक्षा तथा व्यवसायीक तालिम परिषद् (सिटिइभिटी) अन्तर्गत संचालित स्वास्थ्य विषय के प्राविधिक एसएलसी समतुल्य के कार्यक्रम को खारिज करने का निर्णय लिया है ।

चिकित्सा शिक्षा ऐन के दफा ४२ का हवाला देते हुए सावन ३० गते को हुए बैठक में आयोग ने यह निर्णय लिया है । आयोग ने दफा १५ (४) के मुताबिक परिषद् द्वारा प्रमाणपत्र तह से उपर का कोई भी कार्यक्रम न चलाए जाने का निर्णय किया है ।

सरकार के इस तरह के बिकल्परहित तथा गैर जिम्मेवारीपूर्ण निर्णय से भविष्य में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रुप में असर पडने की बात निजि प्राविधिक शिक्षालय प्रदेश नः ५ के अध्यक्ष पाण्डेय ने बतायी है ।

आयोग के निर्णय से अनमी, सिएमए, लैब असिस्टेन्ट जैसे २३८ बिषयों का अध्ययन करानेवाले १३७ कालेजों का सम्बन्धन खारिज होने के बाद देशभर में सरकार का बिरोध हो रहा है । हालांकि लाकडाउन के दौरान आन्दोलन की आग अन्दर ही अन्दर सुलग रही है, जिसका धुवाँ सामाजिक सञ्जाल में स्पष्ट देखा जा सकता है । आयोग द्वारा लिए गए इस फैसले को यथाशीघ्र नहीं सुधारा गया तो लकडाउन खुलते ही आन्दोलन में उतरने तथा न्यायिक प्रक्रिया में जाने की तैयारी रहने की जानकारी भी अध्यक्ष पाण्डेय ने दी है ।

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