जेठ १६,
खोन्टुस/काठमाण्डौ ।
अपने एक अन्तरवार्ता में पूर्वमन्त्री ईश्वर दयाल मिश्र ने कहा है कि,“हमारा देश गरीब हो सकता है पर, यहा के लोग नही । यहा कोई गरीब है तो केवल किसान । इसलिए समृद्ध राष्ट्र का एक मात्र बिकल्प किसानों की समृद्धि है ।
बैश्विक महामारी के वजह से देश में श्रृजित लाकडाउन के दौरान तथा इसके बाद देश में आनेवाले आर्थिक संकट के बारे में सवाल करने पर पूर्व मन्त्री ईश्वर दयाल मिश्र ने कहा,“हमारा देश कृषि प्रधान देश है । कृषि के क्षेत्र में जबतक देश बिकसित नही होगा तबतक देश की समृद्धि असम्भव है । आज भी कृषि में तमाम अनुदान आते हैं । पर, वह सही अन्नदाताओं तक पहुचने के वजाय बिचौलियों के हाथ में ही रह जाता है । इसलिए कृषि अनुदानों का असल अन्नदाताओं तक की पहुच बहुत जरुरी है । तराई के किसान आज भी भारतीय बीज, कीटनाशक औषधी और खाद पर निर्भर हैं । जिस निर्भरता को हटाकर स्वदेश में उनकी ब्यवस्था करके किसानों को व्यवस्थित करने की जरुरत है ।”
बैश्विक महामारी से लडने के लिए सरकार की तैयारी तथा कमी कमजोरीयों के बारे में बात करने पर पूर्वमन्त्री मिश्र ने कहा,“कोरोना को लेकर सरकार ने समय पर और सही निर्णय लिया है, नही तो आज देश की स्थिति कल्पना से परे होती । लाकडाउन के दौरान सीमा पर कई हजार के तादात में नेपाली जनता बैठी हुई है । जिसका जल्द से जल्द व्यवस्थापन किया जाना जरुरी है । जिसको लेकर सरकार का रवैया सकारात्मक होते दिखायी दे रहा है ।”
उन्होने आगे बताया कि, दो देशों के बीच आन्तरिक सम्झौता हुआ था । जिसके मुताबिक नेपाल में रहे भारतीय और भारत में रहे नेपाली नागरिक के क्वारेन्टाइन तथा खाने पीने की ब्यवस्था उसी सरकार को करना था । जिसमें भारत सरकार ने कहीं न कहीं लापरवाही वरती है । फलस्वरुप सीमा पर अन्दाजे से अधिक नेपाली लावारिस स्थिति में रहने को बिवश हो गए हैं ।
नेपाल सरकार द्वारा कोरोना नियन्त्रण को लेकर हुयी गल्तियों तथा इसके समाधान के बारे में बात करने पर पूर्वमन्त्री ने कहा कि,“क्वारेन्टाइन का सही व्यवस्थापन न हो पाने की वजह से क्वारेन्टाईन कोरोना उत्पादन फैक्ट्री बन गया है । इस बात को झुठलाया नही जा सकता । क्वारेन्टाईन व्यवस्थापन के लिए स्थानीय निकाय लगातार कोशिस कर रहा है । पर, अब संघ और सांसदों को भी क्वारेन्टाईन व्यवस्थापन, लैब, आइशोलेसन जैसी चीजों के लिए अपने संसदीय कोष के साथ आगे आना चाहिए ।”
देश में लैब की कमी को स्वीकारते हुए सही मात्रा में पीसीआर टेस्ट न हो पाने का जिक्र भी पूर्व मन्त्री मिश्र ने किया । जिसके वजह से देश के कई हिस्से में लोग क्वारेन्टाईन छोडकर भी भाग रहे हैं । देश में लैब बनाने के लिए सांसद और दाताओं को सामने आने के लिए पूर्व मन्त्री ने आग्रह भी किया है ।
अन्ततः कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेक के बारे में बात करने पर पूर्वमन्त्री मिश्र ने बडे ही सफाई के साथ इसका जवाब दिया । उन्होने कहा कि, यह बिवाद ओली या मोदी सरकार के कार्यकाल का नही है । यह बहुत ही पुराना मामला है । जिसे दोनो देशो के सचिव स्तरीय बैठक से सुल्झाना चाहिए । आगे उन्होने यह भी कहा कि, यह भूमि हमारी है । हमारे पास इसके पुख्ता दस्तावेज भी हैं, इसलिए मामला अगर आपसी सहमति से हल नही हो तो मामला हमे अन्तर्राष्ट्रिय अदालत तक ले जाना चाहिए । फिलहाल हमें पहली प्राथमिकता बैश्विक महामारी से निजात पाने के तैयारीयों पर देनी चाहिए ।