चैत्र २८ गते,
सतेन्द्र कुमार मिश्र/कपिलबस्तु ।
बिश्व भर में महामारी बनकर तबाही मचा रहे कोरोना वायरस से लडने के लिए अग्रपक्ति में स्वास्थ्य कर्मी और पुलिसवाले खडे नजर आ रहे हैं । कोरोना रुपी अदृश्य दुश्मन से सबको बचाने के लिए लगातार अपने जान की परवाह किए बगैर लोगाें को बचाने लिए स्वास्थ्य कर्मी और पुलिसकर्मी आम जनता की सेवा करते नजर आ रहे हैं । ऐसे में उन्ही पुलिस कर्मी का वेतन काटकर राहत कोष में जमा करने की बात का चौतर्फा बिरोध हो रहा है । दिन—रात भूख प्यास सहन करते हुए अपना कर्तब्य निर्वाह कर रहे पुलिस कर्मीयों के मनोबल को बढाने के सिवाय उनका वेतन काटना किसी तरह से जायज न होने की बात सामाजिक सञ्जाल प्रशस्त दिखाई दे रही है ।
पुलिस कर्मी लाकडाउन को सफल बनाने के लिए शहर बजार के हर गली मोहल्ले में तैनात रहते हैं । दिन भर की ड्यूटी के दौरान उन्हे भूख—प्यास लगने पर नास्ता और पानी की ब्यवस्था भी नही रहती और सभी दूकाने बन्द होने की वजह से पुलिस कर्मीयों को कोरोना के साथ साथ दिनभर भूख प्यास से भी लडना पडता है । जोखम भरे ड्यूटी के दौरान आवश्यक सर्जिकल मास्क, ग्लब्स और सेनिटाईजर भी नही मिल पाता है । लाकडाउन की स्थिति में आवश्यक ग्लब्स, मास्क और सेनिटाईजर जैसी चीजें अपने पैसे से खरीदने पर मजबूर पुलिस कर्मीयों का वेतन काटना किसी भी तरह से उचित न होने की आम जनभावना है ।
इस सिलसिले में प्रहरी प्रधान कार्यालय काठमाण्डौ के प्रवक्ता (एसएसपी) उमेशराज जोशी ने देश के संकट घडी में सदैव तत्पर रहने की बात कही है । प्रहरी प्रधान कार्यालय आर्थिक महाशाखा द्वारा जारी पत्र का चौतर्फी बिरोध होने की बात पर उन्होने बडे ही सहजता के साथ इसे जनता का पुलिस कर्मीयों के प्रति स्नेह होने की बात कही और इसको प्रशंसनीय होने की बात भी कही ।
गौरतलब है कि बुधवार को प्रहरी प्रधान कार्यालय के आर्थिक प्रशासन महाशाखा ने एक पत्र जारी करते हुए प्रहरी सहायक निरीक्षक (असई) से लेकर प्र.म.नि.तक के पुलिस अधिकारियों का बैशाख माह के वेतन से क्रमशः ३ से ७ दिन का वेतना काटकर “कोरोना भाइरस संक्रमण रोकथाम, नियन्त्रण तथा उपचार कोष” के खाते में जमा कराने का निर्देश दिया है । जो चौतर्फी आलोचना का मुद्दा बन गया है । पुलिस संगठन के इस निर्णय को लेकर अधिकांश पुलिस कर्मी चिन्तित हैं । मंहगाई तथा आपदा की इस घडी में मासिक वेतन में कटौति की बात पर ज्यादातर पुलिस कर्मी दुखी हैै । पर, पुलिस बिभाग में चैन आफ कमाण्ड का शख्त अनुशासन होने की वजह से निर्णय से निराश हुए पुलिस अधिकारी कोई आपत्ती नही जता पा रहे हैं ।
नेपाल सरकार ने अपने परिवार से दुर दिन रात लोगों की सेवा में तैनात रहे पुलिस कर्मीयों के लिए प्रोत्साहन भत्ता का ब्यवस्था किया है । मिली जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य कर्मी के साथ फ्रन्ट लाइन में तैनात पुलिस कर्मीयों को १०० प्रतिशत तथा उनके पीछे रहे पुलिस कर्मीयों को ५० प्रतिशत प्रोत्साहन भत्ता दिए जाने की बात नेपाल सरकार ने कही है । ऐसे में संगठन द्वारा जारी वेतन काटने के निर्देशन को एक हाथ से देकर दुसरे हाथ से लेने की बात कहते हुए आम जनता में आलोचना हो रहा है । इस बात पर कई नेता, बिज्ञ तथा समाजसेवीयों ने भी आपत्ती जताते हुए तमाम हिदायतें दी है । आम जनसमुदाय की बात करें तो सभी का मानना है कि पुलिस कर्मीयों का वेतन काटना किसी भी तरह से उचित नही है । इससे उनका मनोत्साह बढने के सिवाय गिरने लगेगा । जिसका जिम्मेवार खुद संगठन का निर्णय होगा ।
पुलिस कर्मीयों के वेतन कटौती का चौतर्फा बिरोध होने के साथ साथ लोगों ने स्वास्थ्य कर्मीयों का वेतन भी काटना उचित न होने की बात कही है । जिसको मध्यनजर करते हुए शुक्रवार को स्वास्थ्य तथा जनसंख्या मन्त्रालय के प्रवक्ता डा.बिकास देवकोटा ने पत्रकार सम्मेलन करके बताया कि स्वास्थ्य कर्मीयों का वेतन नही काटे जाने की कोई निर्णय नही हुयी है ।