संपादकीय
देश के अपराध (संहिता) ऐन २०७४ अनुसार दहेज लेने और देने की प्रक्रिया के लिये कानुनी रुप में सजा की व्यवस्था की गई है । इसके बावजुद भी दहेज शब्द में रुपैया–पैसा को दबाकर सामान के रुप में दहेज का लेन–देन किया जा रहा है । इसी लेन–देन के दौरान अगर कोई बहु दहेज लेकर ससुराल नहीं आई तो उसके साथ हिंसा का क्रम शुरु हो जाता है ।
दहेज नहीं लाने के कारण महिला के ऊपर किया जाने वाला अत्याचार अभी तक समाप्त नहीं हुआ है । महिला को जिवीत जलाना, मारपीट करना, मानसिक यातना, घर से निकालना, आत्महत्या के लिये प्रेरित करना इत्यादि घटनाएं दिनप्रतिदिन लोगों के समक्ष आ रही है ।
समाज में अभी भी दहेज का लालच व्याप्त ही है । दहेज के लोभ में मानव दानव बन जाता है जिससे किसी का निर्दोष बेटी सदा के लिये दुनिया छोड जाती है । इस प्रकार की घटनाएं सिर्फ दहेज के कारण महिला के ऊपर हिंसा का प्रतिनिधिमूलक घटना है ।
महिला पुनस्र्थापना केन्द्र (ओरेक) द्वारा किया गया अध्ययन के अनुसार पता चला है कि पिछले ६ महीना में दहेज के कारण २९ महिलाओं के ऊपर विभिन्न प्रकार से हिंसा किया गया है ।
संकलन किया गया कुल ७२४ महिला हिंसा के घटनाओं में से २९ घटनाएं दहेज सम्बन्धी है जिसमें से १६ महिलाओं के साथ दहेज के कारण मारपीट की गई है, ५ महिलाओं के साथ मानसिक हिंसा और चार महिलाएं को घर से निकाला गया है । इसी प्रकार दो महिलाओं की हत्या और एक महिला के साथ हत्या करने का प्रयास किया गया है । पुस महीना के अन्तर्गत ११२ महिलाएं हिंसा का सिकार हुयी है ।
अभिलेखिकरण किया गया संस्था ने जानकारी दिया कि संकलित घटनाओं में से सबसे अधिक ४९ प्रतिशत ५५ महिलाओं के साथ घरेलु हिंसा, १८ प्रतिशत २० महिलाओं के साथ यौन हिंसा, १० प्रतिशत ११ महिलाओं के साथ सामाजिक हिंसा, उसी प्रतिशत में ११ महिलाओं की हत्या, ८ प्रतिशत ९ को बेचा गया, २–२ प्रतिशत (३ और २) के साथ आत्महत्या तथा हत्या प्रयास इत्यादि ।
जिसमें से सबसे अधिक महिला अपने पति से प्रभावित है । कुछ पडोसी से तो कुछ अपने परिवारिक यातना से प्रभावित है ।