भारतीय चावल को नेपाली पलेट बनाने का,उधोग ब्यपार : कृष्णनगर नगरपालिका क्षेत्र मे संचालित

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कृष्णनगर / कपिलवस्तु

जिले के कृष्णनगर नगरपालिका के बिभिन्न वार्डो मे बिना बोर्ड बैनर के नाम बिहिन उधोग संचालन किए जा रहे है , संबंधित सभी निकाय मौन ।

नगरपालिका कृष्णनगर वार्ड नं. १ मडहा आरटीओ सडक के पूर्व दिशामे नाम बिहिन उधोग संचालन कया जा रहा है । और गोप्य सुत्रो से पता लगा है की भारतीय चावल को पालिश लगाकर नेपाली बोरे मे पैक करके बिभिन्न जिलो मे भेजा जा रहा है ।

इसी क्रम मे कृष्णनगर वार्ड नं.१०,सौनहवा गाव मे जाने वाले रास्ते के ठीक सामने सडक के पश्चिम लगा नाम बिहिन उधोग, कृष्णनगर-११ कप्तानगंज गाव के पूर्व तर्फ हुलाकी सडक के उत्तर तरफ और झिगहा चौराहे पर कुछ गल्ला ब्यापारियों को भी भारत से नेपाल राजश्व छली कर के लाएगये गेहु चावल,ब्रान लाही(तोरी) की खरीद बिक्री देखने को मिलता है ।

आज कल के समय बारिस का है । इस मौसम मे बहुत से किसान चावल बढनी बजार से खरीद कर खाते तो क्या ओ किसान चावल बेचने लाएंगे। आप सब खुद सोचिए ऐ सोचने की बात है देश का राजश्व कैसे चोरी होता ।

और यहा लगे उधोग मे हर उधोग से और हर एक गल्ला ब्यापारियों के हप्ते एक ट्रक लगभग लोड होती है ।
इस बारेमे एक उधोग संचालक के भाई उधोग मे मौजूद मिले उनसे इस नाम बिहिन उधोग के बारे पूछा गया की उधोग इतना बडा और नाम नही है, दर्ता है या फिर …?, तो उन्होंने बताया की दर्ता है पर नाम नही लिखा है ।

उधोग के उत्पादन के बारे मे बातचीत किया गया तो उन्होंने बताया की हम खुद धान की कुटाई करते है ।पर उनके मशीन के आगे पछे भुसी नही दिखाई दिया । तो पता चलगया की मशीन कितना चलती है इस बारें मे उनसे पुछा गया तो उन्होंने बताया कि चन्द्रौटा से भी चावल खरीद कर के लाते है ।

पर कृष्णनगर क्षेत्र से ही चावल चन्द्रौटा क्षेत्र मे जाता है तो फिर ये बात कुछ समझ से बाहर है ।

कुछ बार्डर क्षेत्रके ग्रामीणो से पता चला है साम के समय और कभी कभी रात भर भारत से नेपाल साईकिल के द्वारा बोरे को लाया जाता है और नेपाल पहुंचे ही नेपाली रितिरिवाज से उसे नेपाली बनाकर बिभिन्न जिलो मे माग अनुसार आसानी से भेज दिया जाता है । पर संवन्धित सभी निकाय चुप्पी साधने का मतलब क्या है…?

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