दस दिवसीय कजरी कार्यशाला सम्पन्न : काठमाण्डू

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खोन्टुस / काठमांडू/ आलोक अवध ,

दस दिवसीय कजरी गायन की प्रस्तुतिपरक कार्यशाला स्वरगुंजन द्वारा आज कजरी गायन से सम्पन्न हुई-उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग के सहयोग से दस दिवसीय कजरी गायन की प्रस्तुतिपरक कार्यशाला घनघोर बारिश में रैम्पस स्कूल के प्रेमचंद सभागार में सम्पन्न हुई ।

दिनाँक 22 जुलाई से शुरू होकर आज दसवें दिन मंचीय प्रस्तुति गोरी झूलि गई झुलुआ हजार में,लछुमन कहाँ जानकी होइहें, पड़े पनियाँ के रिमझिम फुहार एवं कब्बो आन्ही पानी आवे आदि कजरी एवं रोपनीं गीत को प्रतिभागियों के ने बड़े ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया।कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पूर्व महापौर गोरखपुर डॉक्टर सत्या पांडेय जी ने बच्चों का मनोबल बढ़ाया ।
विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री प्रवीण श्रीवास्तव ने कहा कि स्वर गुंजन के इस शानदार मुहिम के लिए हार्दिक साधुवाद।रैम्पस स्कूल के चैयरमेन विवेक श्रीवास्तव व विनीता श्रीवास्तव ने अपने सम्बोधन में कहा कि परम्परिक लोकगीतों की कार्यशालाएं कराने के लिए संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश को बहुत बहुत साधुवाद।
कजरी की मनोहारी प्रस्तुति देखकर अविभूत स्वर गुंजन के संरक्षक एवं से0नि0 पुलिस उपाधीक्षक श्री शरद चन्द्र पांडेय ने इंद्र देवता की आज हार्दिक प्रसन्नता को रेखाँकित करते हुए कहा कि आज कजरी को प्रभु स्वयं सुन रहे हैं,लोक संगीत की पारम्परिक विधा में कजरी गायन का महत्वपूर्ण स्थान है ।

कार्यक्रम का सुंदर संचालन अजय तिवारी ने किया।लोकगायिका सारिका राय, सुमन वर्मा,अमृता श्रीवास्तव की उपस्थिति ने कार्यक्रम को रोचक बना दिया ।

जिन प्रतिभागियों ने अपनी प्रस्तुति दी उनमें 65 वर्षीय गणेश जी उपाध्याय एवं उनका 8 वर्षीय पुत्र कुलदीप उपस्थित श्रोता दर्शकों के केंद्र विंदु थे।लक्ष्मी पासवान, कृष्णेश्वरी उपाध्याय, सुशीला, पुनीत श्रीवास्तव, विष्णु गौंड,ओमकृष्ण उपाध्याय, निखिल मद्धेशिया, अक्षय कुमार, धनन्जय उपाध्याय, प्रतिज्ञा उपाध्याय, दिलीप निषाद,ब्यास शर्मा,प्रियंका निषाद,बिगोनी, जितेंद्र कुमार ने अपने कजरी गायन से उपस्थित जनमानस का मन मोह लिया।कीबोर्ड पर रविन्द्र कुमार,ढोलक पर विनयएवं पैड पर बीरेन्द्र गौंड ने संगत किया।कार्यशाला के प्रशिक्षक,अध्यक्ष स्वर गुंजन एवं सुप्रसिद्ध लोक गायक राकेश उपाध्याय नें इस प्रशिक्षण की जिम्मेदारी मुझे सौंपने के लिए संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के प्रति हृदय से आभारी हूँ और आगे लोक कला के संरक्षण एवं सम्बर्धन के लिए जो भी जिम्मेदारी मुझे मिलेगी उसका सहर्ष निर्वहन करता रहूँगा ।

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