काठमाडौं ।
आज हमारे देश का प्रधानमन्त्री कौन है ? देश कौन चला रहा है पूछने का मन कर रहा है । एक तरफ चीनी राजदूत नेपाल के संविधान विपरीत प्रधानमन्त्री व तमाम दल के नेताओं से मुलाकात करके नेपाल के आन्तरिक मामले में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रही हैं । वहीं दूसरी तरफ Micromanagement करने में प्रयासरत दिखाई दे रहे हैं । ऐसा लग रहा है कि, नेपाल चीन का ही एक प्रान्त है । शायद excellency को ज्ञात नहीं है कि नेपाल खुद में एक सार्वभौम सम्पन्न राष्ट्र है ।
इसिबीच चीन के नागरिक जिन्होने सिंह दरबार, जोकि नेपाल का सबसे संवेदनशील स्थान है, वहांपर ताण्डव मचा दिया तो सरकार और प्रसाशन मूक दर्शक बनकर तमाशा देख रहे थे ।
यह पहली बार नहीं है। जनवरी 2012 में भी भक्तपुर के न्यायलय में तोडफोड करने पर सरकार ने मौनता धारण किया हुआ था ।
क्या हम नेपाली सच में इतना कमजोर और लाचार हो चुके हैं कि, कोई भी आकर हमारे अस्मिता की धज्जियां उडा दे और हम चुपचाप बर्दाश्त कर लें? कभी चीनी तो कभी भारतीय पक्ष से अपमानित होते रहें ? आखिर कबतक ?
अपने जान की बाजी लगाकर महाकाली तैरकर अपने मातृभूमि में आने की कोशिश करने वाले नागरिकों को गिरफ्तार कर अपना पुरूषार्थ दिखानेवाला सरकार और प्रसाशन कहाँ चला गया आज? क्या अपने देश के नागरिक को दण्ड देने वाली सरकार अपने देश के सुरक्षा में तैनात पुलिस का बैच फाडकर शिर फोड्नेवालों का कुछ नहीं कर सकती ? न्यायरहित हमारा देश ।
सुरेश मणी त्रिपाठी