“नवलपरासी पश्चिम के झुलनिपुर, बहुआर,धर्मौलि, बसहिया लगायत नाका में दिनभर लकडउन रातभर तस्करी !!!” – रबिन्द्र यादव संचारकर्मी
कैलाश महतौ नवलपरासी :-
विश्व अभी कोरोना नामक एक जानलेवा आतंककारी भाइरस से जुझ रहा है । बडे बडे शक्तिशाली और विकसित राष्ट्रों की बहादुरी इसके सामने हार खाता नजर आ रहा है । हजारो के तादाद में दैनिक लोग मार रहे हैं । विश्व के सारे विज्ञान और सरकारें अस्तव्यस्त और किंकर्तव्यविमूढ दिख रहा है ।
सारा विश्व जहाँ इस महामारी से निपटने के उपाय निकालने में लगें हैं, वहीं नेपाल सरकार और उसका मन्त्रीमण्डल कोरोना रोकथाम के बहाने जनता की कमाई लुटने में योजनाबद्ध दिख रहे हैं ।
विदेश में श्रम कर रहे देवानन्द खड्का ने प्रधानमन्त्री केपी ओली को एक भिडियो सन्देश के द्वारा अपना कष्ट, देशप्रेम की बातें और उनके प्रत्यक्ष निगरानी में देश में हो रहे भ्रष्टाचारों का हवाला देते हुए श्री ओलीजी को गाली, धम्की, सुझाव, शिकायत, निर्देशन व अनुरोध भी किया है कि देश में व्याप्त भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों से कम से इस महामारी के समय में देश और जनता की रक्षा करें ।
जब एक नेता अपनी नीति को छोडता है, भ्रष्टाचार वहाँ से शुरू होता है । स्वाभाविक रूप से संविधान और सेनारहित समाज शोषण, विभेद, भ्रष्टाचार और अत्याचार का शिकार होता है । उस हालात में उस समाज के लिए सबसे पहले या तो संविधान और वहाँ के सैनिक संरचना में समानुपातिक सहभागिता होनी चाहिए या फिर उसे वैसे राज्य और शासन प्रणाली से मुक्त हो जाना चाहिए । गुलाम राजनीति और क्षुद्र नेतृत्व चाहे जितना भी विकास और समृद्धि की बात कर लें, उससे गुलाम और पीडित समाज को कोई लाभ होना नही है । उस हालात में अगर जनता को कोई विकास और समृद्धि की डींगे सुनाता हो तो वह भी एक भ्रष्टाचार ही है । वह नियतगत भ्रष्टाचार है । इसिलिए हम यूँ कह सकते हैं कि नीतिगत भ्रष्टाचार का उद्गमस्थल ही नियतगत भ्रष्टाचार है ।
सरकार की मुखिया रहे प्रधानमन्त्री इस बात को बार बार दोहराते नजर आते हैं कि वे न भ्रष्टाचार करेंगे न किसी को करने देंगे । बार बार भ्रष्टाचार शुन्य सरकार और समाज का ढिढोरा पिटना ही अपने आप में यह पुष्टि करता है कि वे खुद उस काम में लिप्त हैं । अमेरिका और यूरोप जैसे देश व सरकारों के प्रमुख लोग तो नगन्य बार बोलते है कि वे भ्रष्टाचार नही होने देंगे ! हकिकत यही है कि उन देशों के राष्ट्र और सरकार प्रमुख अपने देश के जनता की प्रतिष्ठा बढाने के साथ साथ वे और उनके देश विश्व पर राजनीति करते हैं और हमारे नेतृत्व दूसरों की गुलामी और अपने निरीह जनता पर शासन करते हैं ।
हमारे दैनिक जीवन की यह अनुभव है कि हम जब भी अमेरिका, यूरोप व अन्य किसी देश की बात करते हैं तो नजारा यही रहता है कि हमें उन देशों से कुछ मिले या उन देशों में जाने का हमें मौका मिले ता कि समाज में हम आडम्बर दिखा सकें । मगर बाँकी देशों के लोग हमारे गरीबी, लाचारी, दरिद्रता, बेरोजगारी, अशिक्षा व भ्रष्ट प्रवृतियों को अध्ययन करने आते हैं । बदले में कुछ दान और भिक्षा फेक कर चले जाते हैं ।
सारा विश्व के साथ नेपाल भी कोरोना भायरस के जोखिम से लथपथ है । जनजीवन यहाँ भी कष्टकर होते जा रहा है । एक तरफ लोग अपने जान, परिवार, समाज व देश की सुरक्षा के लिए आपतकालीन लकडाउन को सहयोग करने में व्यस्त हैं,
वहीं दूसरी ओर देश और जनता के सुरक्षा के नाम पर सरकार और सरकारी लोग स्वास्थ्य सामग्रियों मे करोडों, प्लेन भाडों में करोडों की भ्रष्टाचार नीतिगत रुप में ही करने में अपना देशभक्ति समझ रहे हैं ।
देश पहले से ही अरबों के एनसेल, सोने की तस्करी, अरबों के हवाई घोटाले आदि जैस सैकडो हजारों भ्रष्टाचार के आक्रान्ताओं से लहु लुहान है, वहीं पर इस संकट के घडी में भी भ्रष्टाचार में लिप्त सरकार, सरकार के प्रधानमन्त्री, उसके मन्त्री, अधिकारी सारे का सम्पति जब्त कर उन्हें कानुनी दायरों लाने की आवश्यकता है । सत्ता पलट भी इसका अगर विकल्प हो तो अब देश और जनता को खुलकर आगे आना चाहिए क्योंकि देश से बड़ा न कोई सरकार है न कोई नेता,दल या नेतृत्व |साभारः हिमालिनी