प्रशासन की लापरवाही से समस्या भुगत रहे किसान

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सावन १३ गते,
देशबन्धु यादव/नवलपरासी ।
समय से किसानों को अपने फसल की कीमत न मिलने से किसानों को बडी समस्याओं का सामना करना पडता है । ऐसी ही समस्याओं से गन्ना किसान जूझ रहे हैं । फसल के कीमत में देरी होने के पीछे प्रशासन के लापरवाही का मामला भी सामने आया है ।
आर्थिक बर्ष २०७७/०७८ में नेपाल सरकार के मन्त्री परिषद् ने २०७७/०८/२५ गते को बैठक बुलाकर एक निर्णय किया था । जिसके मुताबिक गन्ने का अनुदान सहित क्रय मूल्य ५४४ रुपया ३३ पैसा प्रति कुन्तल निर्धारित किया गया था । जिसमें नेपाल सरकार द्वारा ६५ रुपया २८ पैसा अनुदान तथा सुगरमील द्वारा ४७९ रुपया ५ पैसा दिए जाने का निर्णय हुआ था । पर, किसानो को सुगर मिल ने केवल ४७१ रुपया २८ पैसे प्रति कुन्तल का ही भुक्तान किया था । ७ रुपया ७७ प्रति पैसा प्रति कुन्तल के बकाया राशी का भुक्तान अभी तक नही हुआ है । इस मामले में सुगर मील के भुक्तानी शाखा प्रमुख सुरेन्द्र गुप्ता से बात करने पर उन्होने बताया कि,“बाकी रहे ७ रुपए ७७ पैसे प्रति कुन्तल की भुक्तानी इसी सावन माह में गन्ना किसानो को कर दिया जाएगा ।”
गन्ने के मूल्य और भुक्तानी को लेकर बिवाद का मामला बहोत पुराना है । जिससे परेशान होकर बहोत से इलाको में किसानो ने गन्ना खेती ही बन्द कर दिया है । कञ्चनपुर, नवलपरासी, बारा, सर्लाही, सिरहा, रौतहट, महोत्तरी और सुनसरी जिले के गन्ना किसानो की भुक्तानी सहजीकरण के लिए सभी जिला प्रशासन कार्यालयों को साल २०७७ में कृषि प्रसार अधिकृत अनुमा भट्टराई ने एक पत्र भेजा था । जिसके तहत जिला प्रशासन कार्यालय नवलपरासी (पश्चिम) ने २०७८/०१/१७ गते को बागमती खांडसारी सुगरमिल कुडिया को समर्थन मूल्य ७ रुपया ७७ पैसा जल्द से जल्द भुक्तान करने का निर्देश दिया गया था । फिर वह भुक्तान अभी तक नही होने में प्रशासन की लापरवाही भी साफ तवर से दिखायी दे रही है ।
आर्थिक बर्ष २०७७/७८ में कुल ३ लाख २१ हजार ८ सौ कुन्तल क्रसिङ किए जाने की जानकारी मिल प्रशासन ने दी है । हालांकि समर्थन मूल्य के सम्बन्ध में महाप्रबन्धक टंकनाथ काफ्ले से बात करने पर वह किसानो को गैर जिम्मेदाराना जवाब देते आ रहे हैं ।

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