पशु चिकित्सक और असई के मिलिभगत में हो रही गौ—तस्करी

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चैत्र १२ गते,
खोन्टुस/कपिलबस्तु ।

पुलिस नियन्त्रण में लिया गया ट्रक, जेसीबी और मृत मवेशी

कपिलबस्तु जिले के बिजयनगर ४ देउपुरा में गाय और बैल तस्करी का मामला सामने आया है । जिसमें बरिष्ठ पशु चिकित्सक डा.शितल बाबु श्रेष्ठ और पुलिस चौकी पत्थरदेइया जगदीशपुर के असई तुल्सीराम महरा का नाम सामने आया है ।
स्थानीय लोगों के द्वारा दिए गए प्रमाण और जानकारी से पता चला कि, मंगलबार रात ११ बजे के करिब जंगल से आवाज आने के बाद स्थानीय लोगों ने जाकर देखा तो वहां जगदीशपुर पुलिस चौकी के असई महरा एक सिपाही के साथ जेसीबी लगाकर गड्ढा खनवा रहे थे । स्थानीय लोगों को देखते ही वह वहां से भाग निकले और ट्रक वहां से हटवा दिया । धीरे धीरे करके मौके पर गाव के लोगों की भीड उमड पडी और उन लोगों ने जेसीबी को पकड लिया थोडे देर बाद असई महरा फिरसे  मौके पर पहुचे तो उन्हे महिलाओं ने घेर लिया और गाडी से खीचकर बाहर कर दिया । लोगो ने कहा जब तक ट्रक नही आ जाता असई को कही नही जाने दिया जाएगा । कुछ देर बाद ईलाका प्रहरी कार्यालय गणेशपुर की टीम पहुची और ट्रक को कब्जे में लिए जाने की जानकारी दी तब जाकर लोगों ने जेसीबी और असई को छोडा ।
स्थानीय लोगों का असई महरा की संलग्नता में काफी दिनो से पशु तस्करी होने का दावा

असई महरा को गाडी से खींचकर बाहर निकालती महिलाएं

स्थानीय लोगों ने बताया कि, “कुछ दिन पहले भारत से गाय और बैल दौडाते हुए नेपाल में ला रहे एक युवक को दौडाकर पकडा गया तो उसने बताया कि वह भारत के बलरामपुर जिले के गुर्चीहवा का रहनेवाला है और उसे कुछ पैसे दिए गए थे कि इन मवेशियों को नेपाल की भुमि में पहुचा दो ।” लोगों ने बताया कि इस तरह खुली सीमा का फायदा उठाकर भारत से मवेशियों को नेपाल में लाकर छोड दिया जाता है । उसके बाद पुलिस प्रशासन की मिली भगत और कुछ भ्रष्ट पशु चिकित्सको के मदद से उन मवेशियो को ट्रक में लोड करके नेपाल के किसी स्थान से लोड करके लाए जाने का भेटेरिनरी प्रमाणपत्र दिखाया जाता है । जिसके वजह से पशु तस्कर कानुन के चंगुल से साफ बच जाते हैं । स्थानीय लोगों की माने तो फर्म दर्ता किए बेले नामक स्थानीय व्यक्ति की भी पशु तस्करी में संलग्नता रहती है । जिसे ईलाका प्रहरी कार्यालय गणेशपुर ने नियन्त्रण में रखा है ।
स्थानीय महिलाओं ने बताया कि, इससे पहले कई बार मवेशियों से लदे ट्रक के पीछे—पीछे असई महरा को जाते हुए देखा गया है । इसकी शिकायत स्थानीय निकाय से करने पर पशु तस्कर फर्जी कागजात के बलबूते पर कानुन के सिकञ्जे से बच निकलते हैं ।
इस मामले में ईलाका प्रहरी कार्यालय गणेशपुर के पुलिस इन्सपेक्टर मधु नेपाल से बात किया गया तो उन्होने बताया कि, प्रहरी चौकी जगदीशपुर के असई महरा ने घटना की कोई जानकारी नही दी थी । चोरी चोरी मवेशियों को दफनाने की कोशिस करने का योजना बनाया था जो कि स्थानीय लोगों के जागरुकता ने बिफल कर दिया । जेसीबी के मालिक से बात करने पर उसने बताया कि असई महरा उसे जबरजस्ती पुलिसाना रौब जमाते हुए गड्ढा खनने के लिए लेकर गए थे ।
ईलाका प्रहरी कार्यालय गणेशपुर ने मवेशी लदे ना ४ ख २९८४ नम्बर के ट्रक तथा बारा जिले के निजगढ निवासी ट्रक चालक कमल मगर को नियन्त्रण में रखा है । रा १ क ३१४ नम्बर के जेसीबी को भी नियन्त्रण मे लिए जाने की जानकारी पुलिस इन्सपेक्टर नेपाल ने दी है । कब्जे में लिए गए मृत मवेशियो को बुधवार के दिन ले जाकर दफनाए जाने की जानकारी देते हुए गणेशपुर पुलिस ने बताया कि दो मवेशी जीवित थे जिनमे से एक भाग गया और दुसरा जो कि लंगडा था उसे वहीं छोड दिया गया है ।
नियन्त्रण में लिए गए ट्रक ड्राईबर ने बताया कि उसने मंगलबार को दाङ के जंगल से मवेशियो को लोड किया था । जिसे लाने के दौरान रास्ते में ही उनकी मौत हो गयी थी । जबकि प्रमाण पत्र में मवेशियों को डी.एम.एकीकृत कृषि फार्म से लोड किए जाने की बात उद्धृत है ।
गौ तस्करी में बरिष्ठ पशु चिकित्सक डा.शितल बाबु श्रेष्ठ की संलग्नता
बरिष्ठ पशु चिकित्सक डा.शितल बाबु श्रेष्ठ द्वारा बनाए गए १६२४७ नम्बर के भेटेरिनरी प्रमाणपत्र में मिति २०७६/१२/   डाला गया है । अर्थात् इसमें गते उल्लेख न किए जाने की वजह से पशु तस्कर इसे पुरे महिने तक प्रयोग में ला सकते हैं । जबकि उसी प्रमाण पत्र के ३(ख) में स्पष्ट रुप से लिखा हुआ है कि ट्रान्सपोर्ट के अधिकतम २४ घण्टे पहले भेटेरिनरी प्रमाण पत्र बनाया जा सकता है । भेटेरिनरी प्रमाणपत्र ११ गते अर्थात् मंगलवार को लोडेड ट्रक के पास निकला जो कि बिना मिति के ही है और प्रमाणपत्र के पीछे पशु क्वारेन्टाइन चेक पोष्ट भालुबाङ दाङ का मोहर और २०७६/१२/१३ का दिनांक डाला गया है । नेपाल पशु चिकित्सक दर्ता नम्बर २१ रहे डा.शितल बाबु श्रेष्ठ के हस्ताक्षर वाला यह भेटेरिनरी प्रमाणपत्र बरिष्ठ पशु चिकित्सक के भ्रष्टता का पुख्ता सबुत है ।

चन्द पैसो के लालच में राष्ट्रिय जानवर के साथ साथ बैलो की तस्करी मे प्रत्यक्ष रुप से संलग्न बरिष्ठ पशु चिकित्सक डा.श्रेष्ठ जैसे लोगों की वजह से ही पशु तस्कर कानुन और स्थानीय निकाय को चकमा देते हुए अपने मन्शुबे को अन्जाम देते आ रहे हैं । इतना ही नही भे.प्रमाणपत्र में एक ही ट्रक में ३२ मवेशियों को ले जाने की अनुमति साफ साफ दिखायी दे रही है । जबकि नियन्त्रण में लिए गए ट्रक में अधिकतम १८ मवेशी ही लोड किए जाने की क्षमता होने की जानकारी मिली है । एक पशु चिकित्सक के मुताबिक एक मवेशी के लिए ०.४ बर्ग मीटर के क्षेत्रफल की जरुरत होती है ।

बरिष्ठ पशु चिकित्सक द्वारा बनाया गया फर्जी भेटेरिनरी प्रमाणपत्र

जहां देश के साथ साथ पुरा बिश्व भयानक महामारी कोरोना वायरस से जूझ रहा है वहीं कुछ पुलिस कर्मी और बरिष्ठ पशु चिकित्सक चन्द पैसो के लालच में अपना कर्तब्य भूलकर इस कदर गिर गए कि वह देश की वर्तमान अवस्था को भी भूल गए ।
दाङ में स्वस्थ्य स्थिति परीक्षण करके लोड किए गए ११ मवेशीयो में केवल ८/१० घण्टे का सफर तय करने के बाद कुल ९ मवेशी मर जाना किसी भी तरह से सम्भव नही लग रहा है । बाकी बचे २ मवेशी में एक भाग जाने और एक लंगडे मवेशी को वही छोड दिए जाने की जानकारी ईलाका प्रहरी कार्यालय गणेशपुर ने दी है ।

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