विश्व के पर्यटक आना चाहते हैं : पर्यटक वर्ष २०२०

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संपादकीय
नेपाल विविध संस्कृतियों वाला सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक से परिपूर्ण देश है । जहाँ विश्व के पर्यटक आना चाहते हैं । उनके आकर्षण का केन्द्र विश्व सम्पदा सूची में शामिल अनुपम और अद्वितीय प्राकृतिक, सांस्कृतिक और मनोरञ्जनात्मक सम्पदा हैं जिन्हें वो नजदीक से देखना और महसूस करना चाहते हैं । पर पिछले समय का अनुभव बताता है कि पर्यटक जो देखना चाहते हैं वो यहाँ की अव्यवस्था और कमियों की वजह से देख नहीं पाते और एक असंतोष लेकर वापस जाते हैं । शायद यही वजह है कि इनके आने की जितनी सम्भावना होती है उस संख्या में इनका आना सम्भव नहीं हो पाता है ।
नेपाल के संविधान में पर्यटन–सम्बन्धी नीति निर्धारित किया गया है । । पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए उपयुक्त कानूनी प्रबन्ध तथा आवश्यक वातावरण निर्माण कर पर्यटन क्षेत्र का लाभ स्थानीय जनता के समक्ष पहुँचाने का लक्ष्य संविधान में आवधिक योजना तथा वार्षिक कार्यक्रम के द्वारा तय किया गया है । साथ ही पर्यटन विभाग भिजन २०२० और नेपाल राष्ट्रीय पर्यटन रणनीतिक योजना (सन् २०१६–२०२५) के साथ नेपाल को सुरक्षित, आकर्षक और सुन्दर पर्यटकीय गन्तव्य निर्माण बनाने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है ।
नेपाल में पर्यटन की भरपूर सम्भावना है, बावजूद इसके जितनी अपेक्षा पर्यटकों के अगमन की होती है वह पूरा नहीं हो पाता है । एशिया के पर्यटन प्रतिस्पद्र्धा में नेपाल १०३ स्थान पर है जबकि भारत ४०, श्रीलंका ६४, भूटान ७८वें स्थान पर है । वहीं पाकिस्तान १२४ तथा बंगला देश १२५ वें स्थान पर है । निवेश की दृष्टिकोण से भी नेपाल का व्यवसायिक वातावरण भारत भूटान और श्रीलंका से पीछे है ।
इस स्थिति में सरकार द्वारा घोषित पर्यटन वर्ष कितना सफल हो पाएगा यह विचार का विषय है । क्योंकि जी.डी.पी.में नेपाल का प्रत्यक्ष योगदान २.६ प्रतिशत है जो विगत से कम है । इस अवस्था में यह कह सकते हैं कि नेपाल के अर्थतंत्र में पर्यटन का योगदान ना के बराबर है । अगर पड़ोसी राष्ट्र भारत को देखें तो वहाँ पर्यटन क्षेत्र ने जी.डी.पी.में ६.८८ प्रतिशत और रोजगार के क्षेत्र में १२ प्रतिशत योगदान पहुंचाया है ।

गौरतलब है कि नेपाल भ्रमण अन्य देशों की अपेक्षा कम खर्चीला है, इसके बाद भी यहाँ पर्यटक कम दिन ही रहना पसन्द करते हैं । सम्भवतः इसलिए कि पर्यटकों को उम्मीद के अनुसार सुविधा उपलब्ध नहीं होती है, जबकि अगर नेपाल के पर्यटन का बाजारीकरण किया जाय तो यहाँ धनाढ्य पर्यटकों को आसानी से आकर्षित किया जा सकता है । साथ ही पर्यटकों की सुविधा और उनकी सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम ही उन्हें नेपाल भ्रमण के लिए आकर्षित कर सकता है । कोई भी पर्यटक एक खास अनुभव को प्राप्त करने के लिए ही किसी अन्य देश या जगहों का भ्रमण करता है । किन्तु नेपाल की अवस्था देखें तो पर्यटक स्थल की साज सज्जा, रख रखाव और उसकी व्यवस्था में काफी सुधार की अपेक्षा है । कई जगह खास हैं यहाँ पर किन्तु, वो या तो गौण हैं या वो पर्यटकों को लुभा नहीं पा रहे हैं । गंदगी और असुरक्षा पर्यटकों को स्वाभाविक रूप से नाख्श करता है । साथ ही सुरक्षित यातायात की कमी उन्हें यहाँ आने से रोकती है । पर्याप्त वायुसेवा भी हमारे पास नहीं है । एक ही अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डा हमारे पास है और वह भी पूर्ण आधुनिक अवस्था में नहीं है । निर्माणाधीन गौतमबुद्ध अन्तरराष्ट्रीय विमानस्थल सन् २०१९ तक मेरुं भी समाप्त नहीं होरु पाया हैरुरु। जिसकी वजह सेरु भी पर्यटन वर्ष की पूरी सफलता असम्भव लग रहा है। हमारे प्राचीन धरोहर की अवस्था दयनीय है। सडको की अवस्था बेहाल है, प्रदूषण अपनी चरम सीमा पर है, जिसकी वजह सेरु पर्यटन वर्ष से जो हमारी उम्मीदे है उसकी पूर्णता मे संदेह ही नजर आता है।  गौतमबुद्ध अन्तरराष्ट्रीय विमानस्थल सन् २०१९ तक में भी समाप्त नहीं हो पाया है । जिसकी वजह से भी पर्यटन वर्ष की पूरी सफलता असम्भव लग रहा है । हमारे प्राचीन धरोहर की अवस्था दयनीय है । सड़कों की अवस्था बेहाल है, प्रदूषण अपनी चरम सीमा पर है, जिसकी वजह से पर्यटन वर्ष से जो हमारी उम्मीदें हैं उसकी पूर्णता में संदेह ही नजर आता है

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