पुष्पलता सिंह नई दिल्ली से हूँ, और शास्त्रीय संगीत की अध्यापिका हूँ, मेरे पति डिफेंस में कार्यरत थे जो अभी सेवानिवृत हैं । दो बेटे एक बेटी है तीनों शादी शुदा हैं । लेखन में मेरी रुचि विवाह से पहले से ही थी । कहानी, उपन्यास, लेख लिखती थी पर कभी छपवा नहीं पाई, और बच्चों को काल्पनिक कहानी बनाकर सुनाती, फिर एक दिन खयाल आया की क्यों ना इन्हें शब्दों में उतार दूँ ।
शादी के बाद सबके हिस्से का समय निकालने से जो समय मिलता तो उसमे संगीत का रियाजÞ और लेखन करती, अब बच्चे बड़े हो गए हैं तो खुद को संभाल लेते हैं । औरत होने के नाते खुद को स्थापित करना आसान तो नहीं पर कोई मुश्किल भी नहीं है, ये हर औरत पर निर्भर करता है कि किससे कितनी बात करनी है और कितनी दूरी रखनी है, सभी महिला पुरुष अच्छे होते हैं हम किसी को गÞलत साबित नहीं कर सकते, जबतक हम कोई गलती न करें ।