१ दिसम्बर (मंसिर १५),
उमेश बि.क./नवलपरासी ।
भगवान गौतम बुद्ध का अष्टधातु रहे रामग्राम स्तुप परिसर में माघ पूर्णिमा के अवसर पर रामग्राम महोत्सव का आयोजना होने जा रहा है । रामग्राम स्तुप के प्रबर्धन तथा रामग्राम स्तुप के अध्यात्मिक महत्व को आम जनसमुदाय को समझाने के उद्देश्य से रामग्राम स्तुप तथा पर्यटन विकास संस्था के आयोजन में यह महोत्सव शुरु होने की जानकारी श्रोत ने दी है ।
पिछले साल से रामग्राम स्तुप पर बैशाख पुर्णिमा में बुद्ध जयन्ती मनाया जाता है और इस साल से भगवान गौतम बुद्ध द्वारा महापरिनिर्वाण घोषणा किए गए माघ पुर्णिमा के याद में इस अवसर पर महोत्सव किए जाने की जानकारी संस्था ने दी है । भगवान गौतम बुद्ध ने बैशाली में होने के दौरान माघ पुर्णीमा के दिन भिक्षु आनन्द को खुद के द्वारा तीन माह पश्चात बैशाख पुर्णीमा के दिन महापरिनिर्वाण लेने की बात सुनायी थी । महापरिनिर्वाण लेने के लिए भगवान बुद्ध मल्ल के राज्य कुशिनारा (हाल कुशिनगर) में महापरिनिर्वाण लिया था ।
महापरिनिर्वाण पश्चात् उनके अस्थि को बुद्ध के ननीहाल के तरफ पाचीन कोलिय गणराज्य के राजाओं ने अपने भाग में मिलने की बात कहते हुए उसे लाकर रामग्राम स्तुप के रूप में स्थापित किया था । जुन कोलिय गणराज्य की राजधानी रामग्राम होने की वजह से कोलिय राजा द्वारा बनाए गए स्तुप को रामग्राम स्तुप के रुप में जाना जाता है । उसी रामग्राम स्तुप के प्रवर्धन के लिए महोत्सव का आयोजन किए जाने का संस्थागत निर्णय हो चुकने की बात संस्था के अध्यक्ष सम्भु उपाध्याय ने बतायी है ।
माघ पुर्णीमा के एक दिन पूर्व देशी महोत्सव शुरु किए जाने तथा पुर्णीमा के अगले दिन समाप्त होने के तरह त्रिदिवसीय रामग्राम महोत्सव किए जाने की तैयारी जुटने की बात संस्था ने बतायी है । महोत्सव में भिक्षुओं का सम्मेलन, भोजनदान, बुद्ध दर्शन, बुद्ध जिवनी पर आधारित बुद्ध लीला जैसे कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा । उसी तरह महोत्सव में भाग लेनेवालों को अध्यात्मिक अभ्यास के लिए बुद्ध द्वारा खोज किए गए आनापान ध्यान अभ्यास का शिविर भी सञ्चालन किए जाने की जानकारी संस्था ने दी है । स्तुप के पास ही रहे जलाशय को व्यस्थित करके उसमें बोटिंग कराए जाने का योजना भी रहने की जानकारी अध्यक्ष उपाध्याय ने दी है ।
अभी तक रामग्राम में आनेवाले पर्यटक तथा दर्शनार्थी को रामग्राम के अध्यात्मिक महत्व के बारे में जानकारी नही हो पाती है । वह केवल भ्रमण करके चले जाते हैं । सरकारी लापरवाही के कारण अन्धेरे में रहे रामग्राम स्तुप प्रवद्र्धन में नगरपालिका लगायत अन्य सरकारी निकाय द्वारा दिलचस्पी नलिए जाने की वजह से गैर सरकारी संघसंस्था, नागरिक समाज तथा स्थानियबासीयों के सहयोग में यह महोत्सव सम्पन्न किए जाने का लक्ष्य लिए जाने की जानकारी श्रोत ने दी है । महोत्सव प्रतिनिधि मुलक होने के बावजूद भी तत्कालीन अवस्था में अस्तु से स्थापना किए गए स्तुप स्थल के भिक्षुओ को उपस्थित कराए जाने का लक्ष्य होने की बात उपाध्याय ने बतायी है ।
वर्तमान में रामग्राम स्तुप के पास कोरियन औरु थाई पैगोडा बननेवाला है । उसी तरह स्तुप के पास ही बुद्ध द्वारा तलाश किए गए विद्या विपश्यना केन्द्र सञ्चालन के लिए रामग्राम विपश्यना केन्द्र भी दर्ता होकर निर्माणाधीन अवस्था में है । रामग्राम स्तुप का महŒव दर्शाने वाले कुछ विदेशी संस्था और गैरसरकारी संस्था से कार्य किए जाने के बावजूद भी सरकारी निकाय द्वारा यह अति आवश्यक होने की वजह से उत्खनन कार्य डेढ दशक से रुका हुआ है । लुम्बिनी विकास कोष अन्तरगत रखे गए इस स्तुप क्षेत्र प्रति कोष भी उदासीन होने की वजह से रामग्राम स्तुप का उचित प्रवर्धन तथा बिकास नही हो पा रहा है ।पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए उपाध्याय ने कहा कि, आधुनिक काल में सन् १८९६ में पता चले लुम्बिनी के बिकास के लिए लुम्बिनी बिकास कोष का स्थापना किया गया । जिससे लुम्बिनी के बिकास को द्रुत गति मिली । पर, उसके दो साल के बाद सन् १८९८ में अंग्रेज विद्धान डा.डब्लु होय ने रामग्राम स्तुप का पता लगाया । पर, इस क्षेत्र के विकास के लिए रामग्राम बिकास कोष जैसी कोई सरकारी संरचना न बनने की वजह से यह अन्धकार में पडा हुआ है । फिरभी अपने क्षमता अनुरुप गैर सरकारी संस्था तथा स्थानीयबासीयों के सहयोग से बुद्ध जयन्ती पर मेले का आयोजन किया गया है । उसी सिलसिले में अब माघ पुर्णीमा के शुभ अवसर पर रामग्राम महोत्सव का आयोजन किए जाने की बात भी उपाध्याय ने बतायी है । साथ ही इस महोत्सव में सभी को अपने क्षमतानुसार मदद तथा सहयोग करने के लिए अध्यक्ष उपाध्याय ने आग्रह भी किया है ।