12वीं फ़ेल हुए, टेंपो चलाया, पढ़ने के लिए भिखारियों संग सोये, Girlfriend ने साथ दिया, IPS बन गए

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दिल्ली / भारत 24 अक्टूबर 2019

एक नई किताब आई है । इसका शीर्षक है, 12th फेल, हारा वही जो लड़ा नहीं । यह किताब एक वास्तविक कहानी पर है जो महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस मनोज शर्मा के ऊपर लिखी गई है । इसके लेखक मनोज के दोस्त अनुराग पाठक हैं  ।

मनोज शर्मा 2005 बैच के महाराष्ट्र कैडर के अफ़सर हैं । अभी वह मुंबई में एडिशनल कमिश्नर ऑफ़ वेस्ट रीज़न के पद पर तैनात हैं । उनका जन्म अविभाजित मध्यप्रदेश के मुरैना में हुआ था । तो इस किताब में उनके छात्र जीवन के बारे में जो तथ्य है और जहां से वह आईपीएस तक का सफ़र तय किए हैं काबिल-ए-तारीफ़ है ।

दरअसल, मनोज 9वीं, 10वीं और 11वीं में थर्ड डिग्री में पास हुए । इस किताब में मनोज कहते हैं कि वे 11वीं तक नकल करके पास हुए । 12वीं में इसलिए फेल हो गए, क्योंकि नकल नहीं हुई ।  उन दिनों वह सोचते थे कि 12वीं नकल मारकर पास करने के बाद टाइपिंग सीखकर कहीं न कहीं नौकरी करने लगेंगे । लेकिन, इलाके के एसडीएम के सख्त निर्णय से नकल नहीं हो सका ।

वह कहते हैं, एसडीएम के उस निर्णय का मेरे ऊपर गहरा प्रभाव पड़ा । मैंने सोचा इतना पावरफुल आदमी कौन है । बस उसी समय मैंने ठान लिया कि मुझे भी एसडीएम बनना है ।

मनोज 12वीं फेल होने के बाद रोजी-रोटी के लिए अपने भाई के साथ टैंपो चलाते थे । एक बार उनका टैंपो पकड़ा गया तो उन्हें लगा कि एसडीएम इसे छुड़ा सकते हैं । मैं एसडीएम के पास टैंपो छुड़ाने के लिए गया था, लेकिन मैं उनसे उनकी तैयारी के बारे में बात करने लगा । उनकी बात सुनने के बाद मैंने तय कर लिया कि अब यही बनना है ।

मनोज ने लाइब्रेरियन कम चपरासी की नौकरी भी की

मनोज कहते हैं, मैं घर से थैला लेकर ग्वालियर आ गया । पैसे नहीं थे, इसलिए भीखारियों के पास सोता था । खाने तक को कुछ नहीं था । किस्मत ने साथ दिया और लाइब्रेरियन कम चपरासी की नौकरी मिल गई । यहां मैंने गोर्की और अब्राहम लिंकन को पढ़ा । मुक्तिबोध को जाना और फ़िर तैयारी शुरू कर दी ।

वह कहते हैं, 12वीं फेल का ठप्पा मेरे ऊपर से मिटने का नाम ही नहीं ले रहा था । मैं जिस लड़की से प्यार करता था, उससे भी सिर्फ़ इसलिए दिल की बात नहीं कर पाता था क्योंकि मैं फेलियर था ।

दिल्ली में गर्लफ्रेंड से मनोज ने ये कहा

मनोज इसके बाद दिल्ली आ गए । यहां वह लोगों के घरों के कुत्तों को टहलाने का काम करते थे । 400 रुपये प्रति कुत्ता ख़र्च मिलने लगा । इसी बीच उन्हें एक टीचर ने बिना किसी फीस के ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया । यहां पहले ही अंटेप्ट में उनका प्री निकल गया । चौथे अंटेम्प्ट में भी निकला, लेकिन मेन्स में इंग्लिश ठीक नहीं होने के कारण नहीं हो पाया । वह कहते हैं, मैं जिस लड़की से प्यार करता था, उससे कहा कि तुम साथ दो तो दुनिया पलट दूंगा । इस तरह मोहब्बत में जीत के बाद मैंने पढ़ाई शुरू कि और चौथे अटेम्प्ट में आईपीएस बन गया ।साभारःIndiantimeshindi

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